anil ambani reliance powerED छापेमारी: अनिल अंबानी समूह के 35+ ठिकानों पर ED की बड़ी कार्रवाई

anil ambani reliance powerED छापेमारी में ईडी ने 35+ ठिकानों पर छापा मारा। जानिए ₹14,000 करोड़ घोटाले की पूरी कहानी और ग्रुप का जवाब।

24 जुलाई 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह (ADAG) से जुड़ी 50 से अधिक कंपनियों और 25 से ज्यादा व्यक्तियों के 35 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी यस बैंक से रिलायंस ग्रुप को मिले ₹3,000 करोड़ के लोन को लेकर हुई, जिसमें फंड डायवर्जन, दस्तावेजों में हेरफेर और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।


anil ambani reliance powerED छापेमारी का कारण: ₹3,000 करोड़ लोन में कथित घोटाले

ईडी की कार्रवाई का मुख्य फोकस 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों को दिए गए लोन पर है। ईडी को संदेह है कि ये लोन बिना उचित ड्यू डिलिजेंस, फर्जी दस्तावेजों, और बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन करते हुए दिए गए।

मुख्य बिंदु:

  • लोन से पहले प्रमोटर कंपनियों को संदिग्ध ट्रांजैक्शन के तहत पैसे मिले।
  • क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (CAM) को पीछे की तारीख में तैयार किया गया।
  • शेल कंपनियों के जरिए फंड डायवर्ट किया गया।
  • RHFL (रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड) के लोन में संदिग्ध वृद्धि देखी गई।

anil ambani reliance powerED जांच में सामने आई बड़ी विसंगतियाँ

1. लोन अप्रूवल में अनियमितताएं

ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को लोन मंजूरी में भारी अनियमितताएं पाई गईं। बैंक के आंतरिक नियमों को दरकिनार कर लोन दिए गए।

2. फंड डायवर्जन और फर्जी कंपनियाँ

कई लोन ऐसी कंपनियों को दिए गए जो कमजोर वित्तीय स्थिति में थीं और जिनके डायरेक्टर्स व रजिस्टर्ड ऑफिस एक ही थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि इनका उपयोग केवल फंड घुमाने के लिए किया गया।

3. RHFL में लोन ग्रोथ की असामान्यता

RHFL के लोन मात्र एक साल में ₹3,742.60 करोड़ से बढ़कर ₹8,670.80 करोड़ हो गए। इतनी तेज वृद्धि बिना उचित बैकअप के कैसे हुई, ये जांच का विषय है।


anil ambani reliance powerED केस में शामिल विभाग और जांच एजेंसियाँ

इस हाई-प्रोफाइल मामले में CBI, SEBI, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी एजेंसियाँ भी शामिल हैं। CBI ने दो FIR दर्ज की हैं, जो जांच की नींव बनीं।

इन एजेंसियों ने डेटा शेयरिंग, बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट और ट्रांजैक्शन डिटेल्स को साझा कर जांच को और भी व्यापक बनाया है।

anil ambani reliance powerED ग्रुप का बयान और सफाई

अनिल अंबानी ग्रुप ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि:

  • लोन ‘मेरिट पर और उचित प्रक्रिया के तहत’ पास हुए।
  • सभी लोन ब्याज समेत चुका दिए गए हैं।
  • RHFL का डेब्ट रिजोल्यूशन सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पूरा हो चुका है।
  • रिलायंस पावर और रिलायंस इनफ्रास्ट्रक्चर की कोई साझेदारी RCOM या RHFL से नहीं है।

अनिल अंबानी ने खुद 2019 में RCOM के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था और फिलहाल केवल रिलायंस पावर व रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ही ADAG की लिस्टेड कंपनियाँ हैं।


anil ambani reliance powerED और SEBI विवाद

SEBI ने अगस्त 2024 में रिलायंस होम फाइनेंस के खिलाफ आदेश पारित किया था जिसे अनिल अंबानी समूह ने सेक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में चुनौती दी है। इस केस की कार्यवाही अभी जारी है।

यह विवाद भी जांच का अहम हिस्सा है, क्योंकि इसमें निवेशकों के हित और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का मुद्दा सामने आया है।


anil ambani reliance powerED और शेयर बाजार पर प्रभाव

हालाँकि इस समय तक रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन अगर केस और आगे बढ़ता है तो:

  • इन कंपनियों में निवेशकों का विश्वास प्रभावित हो सकता है।
  • लोन और लायबिलिटीज की पुनर्संरचना में समस्या आ सकती है।
  • बैंकिंग सेक्टर में और सख्ती आ सकती है।

anil ambani reliance powerED छापेमारी का निष्कर्ष: भरोसे की परीक्षा

इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली में निगरानी की बेहद ज़रूरत है। ₹14,000 करोड़ के कुल कर्ज की धोखाधड़ी और ₹3,000 करोड़ के लोन की हेराफेरी न सिर्फ नियमों की अनदेखी है, बल्कि आम निवेशकों के विश्वास के लिए भी खतरनाक है।

ED की यह कार्रवाई केवल एक व्यक्ति या समूह के खिलाफ नहीं, बल्कि एक पूरी व्यवस्था को सही दिशा में लाने की पहल है।

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